Saturday, May 11, 2024

रूद्राक्ष धारण करने वाला व्‍यक्‍त‍ि रहता है निरोगी, जन‍िए इसे धारण करने की विध‍ि

रूद्राक्ष भगवान श‍िव का प्रसाद और साक्षात उनका रूप है, ये श‍िव के रूप में पूज‍ित है। वैज्ञान‍िक परीक्षणों से यह प्रमाण‍ित हो गया है क‍ि ब्‍लड प्रेशर को संतुल‍ित रखने की इसमें अपूर्व क्षमता है। रूद्राक्ष को धारण करने वाला सदा सुखी, निरोग, प्रसन्‍न और आलस्‍य रह‍ित रहता है।

रूद्राक्षधारी को द‍िल का दौरा नहीं पड़ता। मधुमेह नहीं होता। गुर्दा संबंधी बीमार‍ियां नहीं होती। रूद्राक्ष का उपयोग सिर्फ रोग और व्‍याध‍ियों को रोकने के लिये ही क‍िया जाता है, यह धारणा गलत है। बीमार‍ियों को काबू रखना, उन्‍हें ठीक करना, रूद्राक्ष जैसी द‍िव्‍य वस्‍तु का एक छोटा सा गुण है।

रूद्राक्ष का मुख्‍य कार्य तो मानव जीवन को पूर्णता प्रदान कराना है। यद‍ि रूद्राक्ष में इतनी चमत्‍कार‍िक शक्‍त‍ि नहीं होती तो भला आज के स्‍वार्थी समय में लोग क्‍यों देवता की भांत‍ि रूद्राक्ष की पूजा करते।

रूद्राक्ष और ज्‍योत‍िष का तालमेल

नक्षत्रों की संख्‍या 27 है। प्रत्‍येक नक्षत्र पर किसी न क‍िसी ग्रह का आध‍िपत्‍य अवश्‍य होता है। अलग-अलग मुखी रूद्राक्षों पर अलग-अलग नौ ग्रहों का आध‍िपत्‍य है। ये 27 नक्षत्र किसी न क‍िसी संबद्ध रूद्राक्ष से संचाल‍ित होते हैं। इसल‍िए जन्‍म-नक्षत्र के अनुसार व‍िभ‍िन्‍न मुखों के रूद्राक्षों का धारण ज‍िन पर व‍िभ‍िन्‍न ग्रहों का निवास है, अनेक दृष्‍ट‍ियों से लाभप्रद और सिद्ध‍ि प्रदायक है।

रूद्राक्ष के व‍िभ‍िन्‍न मुख या भ‍िन्‍न मुखदार रूद्राक्ष, ज‍िन पर भ‍िन्‍न-भ‍िन्‍न ग्रहों का अध‍िवास होता है, वे अपने संबद्ध ग्रहों से शक्‍त‍ि ग्रहण करते हैं। रूद्राक्ष की ग्राह‍िका शक्‍त‍ि सर्वाध‍िक तीव्र और संचय‍िता की तरह है। रूद्राक्ष केवल शक्‍त‍ि-संग्रहण ही नहीं, ऊर्जा का व‍िकीर्णन भी करता है।

शोध और अध्‍ययन के आधार पर ज्‍योत‍िषशास्‍त्रीय पृष्‍ठाधार से रूद्राक्ष का विवेचन करने पर जो न‍िष्‍कर्ष न‍िकलता है, वह अद्भुत व लोक ह‍ितकारी है।

रूद्राक्ष और राश‍ि ग्रह

  • मेष राश‍ि का स्‍वामी मंगल है। ज‍िनकी राश‍ि मंगल है उन्‍हें, 3 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • वृष राश‍ि का स्‍वामी शुक्र है। ज‍िनकी राश‍ि वृष है उन्‍हें, 6 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • मिथुन राश‍ि का स्‍वामी बुध है। ज‍िनकी राश‍ि म‍िथुन है, उन्‍हें चार मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • कर्क राश‍ि का स्‍वामी चंद्रमा है। ज‍िनकी राश‍ि चंद्रमा है, उन्‍हें 2 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • सिंह राश‍ि का स्‍वामी सूर्य है। ज‍िनकी राश‍ि स‍िंह है, उन्‍हें 1 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • कन्‍या राश‍ि का स्‍वामी बुध है। ज‍िनकी राश‍ि कन्‍य है, उन्‍हें 4 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • तुला राश‍ि का स्‍वामी शुक्र है। ज‍िनकी राश‍ि तुला है, उन्‍हें 6 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • वृश्‍च‍िक राश‍ि का स्‍वामी मंगल है। ज‍िनकी राश‍ि वृश्‍च‍िक है, उन्‍हें 3 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • धनु राश‍ि का स्‍वामी गुरू है। ज‍िनकी राश‍ि धनु है, उन्‍हें 5 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • मकर राश‍ि का स्‍वामी शन‍ि है। ज‍िनकी राश‍ि मकर है, उन्‍हें 7 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • कुंभ राश‍ि का स्‍वामी शन‍ि है। ज‍िनकी राश‍ि कुंभ है, उन्‍हें 7 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।
  • मीन राश‍ि का स्‍वामी गुरू है। ज‍िनकी राश‍ि मीन है, उन्‍हें 5 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाह‍िए।

राहु और केतू छाया ग्रह है, इनका किसी राश‍ि व‍िशेष से संबंध नहीं है लेक‍िन यह बेहद कष्‍टदायी हैं। राहू के लिए 8 मुखी रूद्राक्ष एवं केतू के लिए 9 मुखी रूद्राक्ष का उपयोग करना चाह‍िए। ध्‍यान रखें श‍िव पुराण के अनुसार विशेष लाभ के लिए अपनी राश‍ि के अनुसार धारण क‍िये जाने वाले रूद्राक्ष को हमेशा जोड़े में धारण करें, जैसे 6 मुखी धारण करना है तो 2 दाने पहनने से पूरा लाभ म‍िलेगा।

डि‍स्‍कलेमर: धर्म संग्रह, ज्‍योति‍ष, स्‍वास्‍थ्‍य, योग, इति‍हास, पुराण सहि‍त अन्‍य विषयों पर Theconnect24.com में प्रकाशि‍त व प्रसारित आलेख, वीडियो और समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए है, जो विभि‍न्न प्रकार के स्‍त्रोत से लिए जाते हैं। इनसे संबंधि‍त सत्‍यता की पुष्‍ट‍ि Theconnect24.com नहीं करता है। ज्‍योति‍ष और सेहत के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से पहले अपने विशेषज्ञ की सलाह अवश्‍य लें। इस सामग्री को (Viewers) की दि‍लचस्‍पी को ध्‍यान में रखकर यहां प्रस्‍तुत किया गया है, जिसका कोई भी (scientific evidence) नहीं है।

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